दुध का दरिया एक वरदान बना अभिशाप - 2

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खिलखिलाती हुई हंसी अभी भी रणविजय की धड़कन बढ़ा रही थी 'हां बस 2 दिन बाद वापस आ रही हुँ।"और कब वह लड़की रणविजय की आंखों से ओझल हो गई पता ही नहीं चला।"अरे !यार कहां गई वह लड़की अभी तो यही थी।" तू कब से लड़कियां देखने लग गया ,कॉलेज में तो किसी को ढंग से हाय हलो भी नहीं बोला ,और यहां कौन सी तुझे ऐसे जन्नत की हूर मिल गई जो इतना परेशान हो रहा है।"मानव भी लगभग छोड़ते हुए बोला।"देख मजाक मत कर यार ,बाकी सब लड़कियां अलग थी! मगर यह ,कुछ बात तो है जो