सिर्फ तुम.. - 5

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सिर्फ तुम-5 चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ, फिर से किसी मोड़ पर मिलें, और फिर से दिल हार जाएं... पर इसबार जो मिलेंगे तो इतना समझा देना, मैं नहीं हूं तुम्हारे जैसी बस इतना समझ जाना.. फर्क पड़ता है बहुत मुझे तुम्हारी बेरुख़ी से, बेफ़िक्र से रह लेते हो तुम कैसे. बस इतना सीखा देना.. यूँ बीच सफ़र में तुम मेरा हाथ छुड़ा ना सको, ताकी इस बार जो बिछड़ें हम, तो तुम मुझे फ़िर रुला ना सको.. इस बार जो मिलेंगे , तो अपने जैसा बना देना.. क्यों इतनी फिक्र होती है तुम्हारी, बस थोड़ा सा