चैप्टर 22 रविवार, भूमि के नीचे। रविवार की सुबह जब सबकी नींद खुली तो किसी भी चीज़ के लिए कहीं कोई जल्दी या हड़बड़ी नहीं थी। चूंकि पहले से निश्चित था कि आज सिर्फ आराम करेंगे वो भी इस बेमिसाल और अनजान गुफा में, तो ये सोच कर ही बहुत सुकून था। हम खुद इस माहौल में ढल चुके थे। मैंने तो चाँद, सूरज, तारे, पेड़-पौधे, घर या नगर के बारे में सोचना ही छोड़ दिया था। एक अजीब सी दुनिया में होकर हम इन सबके खयालों से दूर थे।ये चित्रमय कंदरा विशाल और अभूतपूर्व था। ग्रेनाइट की मिट्टी को