पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 18

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चैप्टर 18 वो अनुचित मार्ग। अगले दिन तड़के ही हमने शुरुआत कर दी थी। हम समय बर्बाद नहीं कर सकते थे। मेरे हिसाब से हमें पाँच दिन लगने थे वहाँ पहुँचने में जहाँ से या गलियारा बँटा हुआ था।वापसी में हमें कितनी परेशानी होनी है इसका बखान मुश्किल है। मौसाजी ने अपनी सभी गलतियों को मानते हुए अपने गुस्से के कड़वे घूँट को पी लिया था। हैन्स के समर्पित और प्रशांत व्यवहार की वजह से मुझे दुःख और शिकायतें थीं। इसलिए उसकी बदकिस्मती पर मुझे कोई अफसोस नहीं हुआ।लेकिन एक तसल्ली ज़रूर थी। इस मोड़ पर आकर हारने के मतलब