पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 16

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चैप्टर 16 पूर्वी सुरंग। अगले दिन मंगलवार 20 जून, सुबह छः बजे हम अपने आगे के सफर के लिए फिर से तैयार थे।अब हम आगे जिन रास्तों पर बढ़ रहे थे वो बिल्कुल वैसे ही थे जैसे जर्मनी में पुराने ज़माने के घरों में सीढ़ियाँ होती थीं। करीब बारह बजकर सत्रह मिनट होने पर हम वहाँ रुके जहाँ हैन्स पहले से पहुँच कर अचानक से रुका हुआ था। आखिर में, मौसाजी ने चीखते हुए कहा, हम इस खाँचे के अंतिम छोर पर आ गए हैं। मैं सबकुछ देखकर अचरज में था। हमारे सामने चार रास्ते थे जो संकरे और गहरे थे, जिनमें