पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 15

  • 8.3k
  • 2.7k

चैप्टर 15 नीचे उतरना जारी रहा। अगले दिन, सुबह 8 बजे, भोर जैसे दिन ने हमें जगाया। अंदर रोशनी छन कर ऐसे आ रही थी जैसे किसी प्रिज्म से हज़ार रोशनियाँ फुट रहीं हों।हमें सबकुछ साफ और आसानी से दिख रहा था। तो, हैरी मेरे बच्चे, प्रोफ़ेसर ने उत्साहित होते हुए अपने हाथों को सहलाते हुए कहा, तुम्हें क्या कहना है? तुमने कभी कोनिग्स्टर्स के हमारे घर में इतनी शान्त रात बितायी थी? ना किसी गाड़ी के पहियों का शोर, ना फेरीवालों की चीखें, ना नाविकों या कहारों के अपशब्द! मौसाजी, जैसा कि अभी हम सब इतने नीचे हैं, लेकिन मुझे इस