पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 13

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चैप्टर 13 स्कारतरिस की परछाईं। जल्दी ही और आसानी से भोजन निपटाने के बाद उस खाली खोह में सबने वही किया जो उनके लिए सम्भव था। समुद्र तल से पाँच हज़ार फ़ीट की ऊँचाई पर, खुल आकाश के नीचे सख्त बिस्तर, दुःखदायी स्तिथि और असंतोषजनक आसरा था।हालाँकि इससे पहले ऐसी एक भी रात नहीं गुज़री थी जब मुझे चैन की नींद आयी हो। मैंने कोई सपना तक नहीं देखा। मौसाजी के कहे अनुसार भरपूर थकान के बाद का ये असर हुआ था।अगले दिन सुबह जब सूर्य की किरणों और दिन के उजालों में हम उठे तो ठंड से लगभग जमे