२४. दिन निकल रहे थे ऐसे ही. बीच में तीन दिन के लिए अरु अपनी मम्मी-पापा से मिलने सहारनपुर भी गई. उसका चचेरा भाई आकर लिवा ले गया था. मां से खूब बातें हुई, पर आरिणी ने स्वयं को समझा रखा था कि वह मां को कोई ऐसी बात नहीं बतायेगी जिससे उन्हें परेशानी हो. फिर, अभी तक वह स्वयं नहीं समझ पा रही थी कि आरव की जिन्दगी की वास्तविकता क्या है. आरव स्वयं लेने पहुंचा था उसे . रात को रुका नहीं क्यूंकि उसी रात की ट्रेन से रिजर्वेशन भी था. आज आरिणी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण दिन