आंसुओं के रिश्ते

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डॉ. अमिता नीरव ‘हमारे बीच अब कुछ भी नहीं रहा...।’ – सपाट चेहरे और चुराती नज़रों से उसने संयुक्ता से कहा। अवाक् और आहत संयुक्ता की आँखों में आँसू आए तो लेकिन फिर पता नहीं कहाँ चले गए...। उसने गहरी नज़र से उसे देखा, लेकिन उसने संयुक्ता की तरफ पलट कर नहीं देखा और सामने की तरफ देखते हुए स्टीयरिंग, ब्रेक और गियर सब कुछ संभालता रहा। संयुक्ता के भीतर से संयुक्ता चीखने को थी ‘मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी’ लेकिन जैसी कि उसकी आदत हो गई है, चीखने वाली संयुक्ता का मुँह दबा दिया। ‘तू नहीं रह सकती