पत्रिका-अदहन .2,अंक 7,अक्टूबर-दिसम्बर-2018 वेदराम प्रजापति,‘मनमस्त’ पत्रिका अदहन का आमुख पृष्ठ ही पत्रिका का अनूठा आईना-सा लगा। चित्रांकन की पृष्ठभूमि ही दर्दीले साक्ष्य लिए-नए भोर की तलाश में लगी जिसमें गहरी वेदना का मुखर संवाद झाँक रहा है साथ ही उन्मुक्तता की उड़ान भी। सौ पृष्ठों की पत्रिका सामाजिक-साहित्यक का अनूठा विजयी शतक है। सम्पादक मण्डल गहन चिंतन के साक्ष्य में अभिनन्दनीय होकर-बधाई का श्रेय पाता है। पत्रिका, साहित्य विचार और जन-आन्दोलन की विरासत होगी। अंक की धरोहर में द्वा-दश सोपान हैं जो-मुखातिब से चलकर जन-गण-मन तक की वेदना,संवेदना तथा नवीन सुधारों के संवादों से सजें-सवरें हैं।