तीसरे लोग - 17

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17. आज सुबह से ही आसमान स्याह बादलों से घिरा हुआ था। रह-रहकर कड़कड़ाती बिजली और बादलों के भयावह गर्जन से फाल्गुनी का कलेजा कांप उठता। डॉ. स्मारक वार्ड में दो अन्य जूनियर डॉक्टरों के साथ राउंड लेने में व्यस्त थे और फाल्गुनी के पास आज कुछ विशेष काम न था या यूं कहें की आज वह थोड़े फुर्सत के मूड में ही थी। इसलिए स्मारक के केबिन में रखे फाइल रैक और किताबों की अलमारी को हाथ में झाड़न लिए साफ-सफाई में जुटी थी। एक-एक किताबों और फाइलें निकलती हुई बड़बड़ाती जा रही थी, " ओफ्फ ओ ! ये