"बेचारी गृहस्वामिनी"जब हम नारी मुक्ति और नारी उत्कर्ष की बात करते हैं तब हम नारियों को अपने अंदर भी झाँकना चाहिए कि समाज की अन्य स्त्रियाँ इस आजादी और अधिकारों का गलत उपयोग तो नहीं कर रहीं? "बेचारी गृहस्वामिनी" कोई कहानी नहीं, एक सच्चाई है ,जो स्त्री के अधिकारों का दुरुपयोग और उसकी वजह से हुए एक आदर्श परिवार की समाप्ति दर्शाता है।यह हमारे समाज के ही एक परिवार की सत्य घटना पर आधारित है।अजीब फितरत थी सोनाली की... विवाह भी करना है, और ससुराल में नहीं रहना है... आदर्श बहू भी कहलाना है और ससुराल वालों को ताने भी