अनमोल का प्लेसमेंट हो गया था। वो बंगलूरू चला गया था। घर में सभी को उसकी नौकरी की खुशी थी, पर बिना घर आए, बिना सब से मिले चला जाना परिवार के सभी सदस्यों को बहुत ज्यादा अखर रहा था। अरविंद जी किसी से कुछ नहीं कहते पर अनमोल के अंदर जो परिवर्तन आ रहा था वो उन्हे अच्छा नहीं लग रहा था। ये परिवर्तन एक अनजाने डर को जन्म दे रहा था। पर बार बार वो अपने इस अंदेशे को मन से झटकने का प्रयास करते। अरविंद जी खुद को दिलासा देते की नहीं ये सिर्फ और सिर्फ उनके मन का वहम है।