एक दूजे के लिए - (भाग 1)

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"कुंवारे मर्द को मैं मकान किराये पर नही देती।"इतना कहकर उस बुढ़िया ने दरवाजा बंद कर लिया था।उमेश की मुम्बई मे एक कंपनी में नौकरी लगी थी।दस दिन पहले ही वह मुुमंबई आया था।इस महानगर में उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार नही था।होता भी तो?यहाँ के लोग किसी को अपने यहाँ ठहराने की भूल नही करते।दोष उन लोगो का भी नही है।वे स्वयं ही कम जगह में जैसे तैसे गुज़रा करते है।ऐसे मे किसी रिस्तेेेदार या परिचित को अपने घर मे कैसे ठहरा सकते है।उमेश एक होटल में रह रहा था लेकिन वहाँ कब तक रह सकता था।उसने