खुला पत्र (शराबी पति के नाम)

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हे प्राणनाथ, यहाँ सब लोग कुशल मंगल है। इस पत्र को लिखते हुए मुझे अपने वे दिन याद आ रहे है, जब हम पहली बार राशन की दुकान पर मिले थे। तुमने मुझे देखा और देखते रह गए, मैं सावली सी दुबली-पतली लड़की थी। जिसे देखकर शायद ही कोई आकर्षित होता, पर तुम हुए ,पहली ही नजर मे तुम भी मुझे अच्छे लगे। फिर मुझे अपनी मां से पता लगा कि वो तुम ही हो जिससे मेरी शादी की बात चल रही है। मेरे घर में सब तुम्हारी तारीफ करते थे, भाई ने बताया की तुम मकान मिस्त्री का