जनश्रुतियों के आइने में पद्मावती नगरी एवं भवभूति साहित्य

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जनश्रुतियों के आइने में पद्मावती नगरी एवं भवभूति साहित्य रामगोपाल भावुक सभी की देखने की अपनी-अपनी दष्टि होती है। मैंने यहाँ पद्मावती नगरी एवं भवभूति साहित्य को जनश्रुतियों के आइने में देखने का प्रयास किया है। लोगों में यह जनश्रुति प्रचलित है कि पदमावती नगरी उलट गई है। इसका सहज अर्थ यह है कि यहाँ निश्चय ही कोई बड़ी आपदा आई होगी, चाहे नदियों के बीच धिरे होने से बाढ़ का प्रकोप हुआ हो, भूकम्प आ गया हो अथवा शत्रुओं ने इसे तहस-नहस कर दिया हो। जो हो यह विकसित नगर आज धरती में समा गया है। लगभग चालीस-पचास