इच्छा जन्म रामालाल जी नहीं रहे। आप तो एक दम चौंक ही पड़े। अरे भाई रामलाल कोई अमरौती रख कर तो आए नहीं थे। सो निकल लिए, टें हो गए या परलोक सिधार गए। वे मोह माया से मुक्त हो गए, नाते रिश्तों से ऊपर उठ गये या भगवान को प्यारे हो गए। जबलपुरिया में उन की लाई लुट गई । पूरी बात को यदि संक्षेप में कहना हो तो रामलाल अपनी पत्नी के बंधन से आजाद हो गए। अब साहब वे अपने शरीर से निकले और अपनी आजादी के मजे लेने लगे। थोड़ा रूक