……….."कहाँ खोई हो अपेक्षा?""इन तितलियों में।"गार्डन में फूलों पर मंडराती तितलियों की ओर इशारा कर अपेक्षा ने जवाब दिया।"बहुत सुंदर हैं।"श्रुति ने तितलियों को निहारते हुए कहा।"यह कितनी स्वतंत्र है ना!बेखौफ उन्मुक्त और खिलखिलाती।"अपेक्षा ने कहा।"हाँ….बिल्कुल हम स्त्रियों की तरह ना!""स्त्रियों की तरह!!क्या बोल रही हो श्रुति! स्त्रियों के लिए यह दुनिया सुरक्षित नहीं है उन्हें कोई स्वतंत्रता नहीं….भूल गई यह दुनिया पुरुषों की बनाई है!!"एक अनकहा दर्द उसके शब्दों में कराह उठा।"पुरूषों ने नहीं।यह