महाकवि भवभूति के कालप्रियनाथ जीवानन्द नामक विद्वान ने ‘कालस्य(महादेव) प्रिया (पार्वती) कालप्रिया तस्याः नाथः कालप्रियनाथ’ ऐसी व्युत्पति को ध्यान में रखकर इस शब्द का अर्थ महादेव किया है। उन्होंने यह भी बतलाया है कि विर्दभ के पद्मपुर नगर में जो कि भवभूति का जन्म स्थान है, किसी देवमूर्ति विशेष का नाम कालप्रियनाथ है। डॉ.एस.राय ने उज्जयिनी में इसे न मानकर कालपी में इसकी स्थिति मानने का सुझाव दिया है। मालती माधवम् के प्राचीनतम टीकाकार जगद्धर ने इसे उज्जयिनी और कालपी दोनों से मुक्ति देकर पद्मपुर स्थित महादेव की ओर संकेत किया है। कालप्रियनाथ से संस्कृत के