असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 8

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8 एक उदास सांझ। सांझ कभी-कभी बहुत उदास होती है। सांझ चाहे गर्मी की हो चाहे सर्दी की या चाहे बारिश की हो। उदासी है कि दूर ही नहीं होती। ऐसी ही उदास सांझ ढले मां घर के ओेसारे मंे बैठी हुई थी। पुराने अच्छे दिनांे की याद मंे उसकी आंखांेे मंे आंसू आ गये थे। उसी के मौहल्ले मंे कुछ मांए ऐसी भी थी कि दुःख ही दुःख। उसने सोचा एक मां पांच-पांच बेटों को पालती हैं और पांच बेटे मिलकर मां को नहीं पाल पाते। कैसा निष्ठुर है समय। बेटे अमावस से पूनम तक मां को इधर-उधर करते