जब तुम किसी की बाहरी सुन्दरता को देखते हो उसका चेहरा तुम्हे अच्छा लगता है उसकी कार्य शैली से तुम प्रभावित होते हो, उसे चाहने लगते हो, उसकी ओर झुकने लगते हो, उसके गुण, उपलब्धि, महत्वाकाक्षाँयें तुम्हें अपनी ओर खीचतीं हैं, उससे बार-बार मिलन चाहते हो। न मिलने पर आक्रोशित हो जाते हो। तुम्हारा स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है उसे पाने के लिये अधीर हो उठते हो फिर तुम शारीरिक दुर्बलता का शिकार हो जाते हो। तब तुम्हे लगता है तुम प्रेम में हो, तुम रोगी हो गये हो अगर तुम्हारा प्रेमी तुम्हे न मिला तो तुम प्राण त्याग दोगे।