रात के ग्यारह बजे थे। प्रेस क्लब भीड़ - भाड़ से ख़ाली होने लगा था। हम लोग भी उठकर जाने ही लगे थे कि हमारी मित्र मंडली में शामिल एक सज्जन ने आदतन कहा - दो मिनट प्लीज़, मैं अभी आया। किसी की आवाज़ आई - बैठो, वो अब पंद्रह मिनट से पहले नहीं आने वाले। वाशरूम गए हैं, उनका पेट मसाला डोसा आने के पहले से ही गुड़गुड़ा रहा था। ऊपर से खा भी लिया है। सब हंस पड़े। हम इंतज़ार में एक दूसरी टेबल पर जा बैठे जिस पर कुछ परिचित लोग बैठे बातों में मशगूल थे। सबके