लोग गुस्से में चीखते है और प्रेम में मौन हो जाते है।

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गंगा किनारे स्नान करते गुरु और उसके चेलों ने देखा की एक परिवार वाले गुस्से में एक-दूसरे पर चीख चिल्ला रहे थे। एक चेले ने अन्य चेलो से पूछा, 'लोग गुस्से में होते है तभी एक-दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं? ' कुछ सोचने के बाद उनमें से एक बोला, 'हम अपना आपा खो देते हैं, इसलिए हमारी आवाज़ तेज हो जाती है।'शिष्यों की बात सुन रहे गुरु ने कहा, 'लेकिन जब आपके बगल में ही खड़ा हो, तब चिल्लाने में क्या तुक?' शिष्यो ने इसका उत्तर दे ने की कोशिश की,अपने जवाब वे खुद संतुष्ट न हुए।अंततः गुरु ने कहना