ऋषि आज सोकर देर से उठा। बीती रात गहरी नींद नहीं सो पाया था वह ,रात भर जैसे दिमाग चलता हीं रहा नंगी आंखों से देखी गई 3 D फिल्म की तरह जिसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं था। इसलिए सिर भी बोझिल लग रहा था। उसने उनींदी आंखों से कमरे में इधर उधर नजर दौड़ाई।सारा कमरा अस्त व्यस्त हालत में था।लगता था कि महीनों से उसकी साफ सफाई नहीं हुई। कमरे की हालत देख उसका मन तिक्त हो उठा जैसे किसी ने मुंह में ज़बरदस्ती कुनैन की पुड़िया ठूंस दी हो।वह मन हीं मन किसी निश्चय पर पहुंचा और बहुत