नासाज़ - 4

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अध्याय चार मुर्दों का टीला (पापलोज की ज़ुबानी) सुन सान रात के तलहटी में मै अपने महंगे वाइन के लम्बी गर्दन वाले बोतल के साथ निकल पड़ा था, मेरे ठिकाने से बहुत दूर, यह सफर अंधेरे भरी थी, पर भी मेरे लिए यह जन्नत थी, अमावस की यह बिना चांद वाली रात मुझमें बिच्छू सा जहर घोल देती है, यह मेरे लिए शबाब और शराब दोनों से ज्यादा नशीली थी, अंधेरी रात की मौजूदगी से मेरे कदम धीरे धीरे इस वीरान बंजर इलाके में बढ़ रहे थे, बहुत ही धीरे कछुए के चाल लिए, मौसम में कुछ हल्की नमी थी,