सुलझे...अनसुलझे - 24

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सुलझे...अनसुलझे हरी सिंह ------------- बात उन दिनों की है जब हमने एक एम्बुलेंस उन जरूरतमन्द मरीज़ों को लाने और ले जाने के लिए ली हुई थी, जिनको किसी भी तरह की आने-जाने में असमर्थता होती थी| शाररिक या आर्थिक रूप से कमज़ोर मरीज़ों को यह सुविधा हमारे सेंटर की तरफ से निःशुल्क थी| हमने अपने ड्राईवर को भी निर्देश दे रखे थे कि वह किसी भी मरीज़ से भी छिपकर रुपया न ले| बीच में एक ड्राईवर ऐसा भी आया जोकि पंडित था और उसने मरीज़ों से पंडिताई कर रुपया ऐठना शुरू कर दिया था| उस ड्राईवर को लगता था