जी हाँ, मैं लेखिका हूँ - 4

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कहानी- 4- ’’ माँ ’’ बड़े ही उत्साह से वो मेरे पास आया तथा मेरे पैरों को छूने के लिए झुक गया। कुछ ही क्षणों में मेरे दोनों हाथ उसके सिर के ऊपर आशीर्वाद की मुद्रा में थे। मुख से स्वतः निकल पड़ा, ’’खुश रहो मेरे बच्चे........जीते रहो। ’’ आशीर्वाद के इन शब्दों सुनकर वह सन्तुष्टि व गर्व के भाव के साथ मुझे देख कर मुस्कराने लगा। कुशल क्षेम पूछने के पश्चात् उसे भोजन के लिए कह कर मैं रसोई में जा कर उसके लिए खाना गरम करने लगी। मेरे पीछे-पीछे वह भी रसोई में आ गया। मुझे खाना गर्म