मानस के राम (रामकथा) - 30

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‌ मानस के राम भाग 30हनुमान का रावण को समझानाहनुमान रावण के वैभव को देखकर अचंभित अवश्य हुए थे। लेकिन उनके मन में रावण के लिए कोई भय नहीं था। हनुमान रावण के दरबार में थे। रावण के ह्रदय में अपने पुत्र की हत्या का दुख था। उसने अपने पुत्र इंद्रजीत से कहा,"इस साधारण वानर में ऐसा क्या है कि तुम को इस पद ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना पड़ा ?"इंद्रजीत ने कहा,"पिताश्री यह वानर देखने में