असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 4

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4 कस्बे के बाजार के बीचांे-बीच के ढीये पर कल्लू मोची बैठता था। उसके पहले उसका बाप भी इसी जगह पर बैठकर अपनी रोजी कमाता था। कल्लू मोची के पास ही गली का आवारा कुत्ता जबरा बैठता था। दोनांे मंे पक्की दोस्ती थी। जबरा कुत्ता कस्बे के सभी कुत्तांे का नेता था और बिरादरी मंे उसकी बड़ी इज्जत थी। हर प्रकार के झगड़े वो ही निपटाता था। कल्लू मोची सुबह घर से चलते समय अपने लिए जो रोटी लाता था उसका एक हिस्सा नियमित रूप से जबरे कुत्ते को देता था। दिन मंे एक बार कल्लू उसे चाय पिलाता था।