रत्ना दीप जलाती है-समीक्षक रामगोपाल भावुक

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रत्ना दीप जलाती है एक महाकाव्य पुस्तक रू रत्ना दीप जलाती है । रचनाकार- राजवीर खुराना समीक्षक - रामगोपाल भावुक मूल्य- 120. पृष्ठ- 80 प्रकाशक- पराग बुक्स दिल्ली. 92 समाज में नारी की स्थिति से व्यथित रचनाकार राजवीर खुराना ने अन्तस में पल रही पीड़ा को व्यक्त करने के लिये महाकवि तुलसी की धर्मपत्नी रत्नावली के जीवन को आधार मानकर जो अनुभूतियाँ व्यक्त की हैं वे पाठक के हृदय को उद्वेलित करने में समर्थ हैं। कवि ने नारी हृदय की पीड़ा को गहराई से अत्मसात किया है। तभी वे इस विषय पर कलम चलाने में समर्थ रहे हैं। लगता