कहानी-- क्रूरता आर.एन. सुनगरया, आज मैं बहुत निश्चिंत हूँ, उसे मायूस और निष्क्रिय मेहसूस करके। इतना उदास वह कभी नहीं रहा, जितना वह अभी-अभी कुछ दिनों से बुत बना