अध्याय 3 एक दिन छोड़कर एक दिन ही उसका काम होता है। मिनी बस से उतर कर मोती घर पर ही था। घर के सामने आम के पेड़ की छाया के नीचे एक खटिया थी। उस पर मोती लेटा था । आम के पेड़ पर गिलहरियां इधर से उधर भाग रही थीं। अचानक खूब सारे हरे तोते अपने पंखों को फड़-फड़ाते हुए, की की... की आवाज करते हुए एक से दूसरे टहनी पर जा रही थी। गिलहरियों ने जिन कैरियों को काटा था वे धड़ाधड़ नीचे गिर रहे थे। "अरे मोती" हाथ में चाय का कप लेकर आई सविता। वह