मैं गूंँगी नहीं बना दी गई...!! ये मेरे बचपन की बात है,तब मैं अपनी नानी के यहाँ कभी कभार जाती थीं, उस समय के गाँव और अब के गाँव में बहुत फर्क हैं, लगभग तीस साल पहले की बात होगी, उस समय ज्यादा समझ तो थी नहीं दुनिया दारी की लेकिन लोगों को देखकर उनकी बातों का मतल़ब थोड़ा थोड़ा समझ आ ही जाता था।। तो नानी के ही पड़ोस में एक परिवार रहा करता था,उनकी बड़ी बहु इतनी सुघड़ और काम काज मे इतनी चतुर की मुहल्ले पड़ोस के लोग अपनी बहुओं को उसका उदाहरण देते नहीं थकते,देखने