असत्यम्। अशिवम्।। असुन्दरम्।।। - 3

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3 झील के घाट पर एक प्राचीन मन्दिर था। क्यांेकि यहां पर, जल, मन्दिर और सुविधाएंे थी सो श्मशान भी यहीं पर था। झील मंे वर्षा का पानी आता है। गर्मियांे मंे झील सूखने के कगार पर होती थी तो शहर के भू-माफिया की नजर इस लम्बे चौड़े विशाल भू-भाग पर पड़ती थी। उनकी आंखांे मंे एक विशाल मॉल, शापिंग कॉम्पलैक्स या टाऊनशिप का सपना तैरने लगता था। मगर वर्षा के पानी के साथ-साथ आंखांे के सपने भी बह जाते थे। झील मंे मछलियां पकड़ने का धन्धा भी वर्षा के बाद चल पड़ता था। जो पूरी सर्दी-सर्दी चलता रहता था।