अपने-अपने कारागृह-12 दूसरे दिन उषा अपनी ननद अंजना के घर उससे मिलने गई । घंटी बजाने जा ही रही थी कि अंदर से तेज तेज आवाजें सुनकर घंटी दबाने के लिए बढ़े हाथ पीछे हट गए ।' चाय बना कर देने में जरा सी देर हो गई तो आप इतना हंगामा कर रही हैं । आपकी वजह से ही मैं अपने मित्र की जन्मदिन की पार्टी से जल्दी आई हूँ ।'' जल्दी आ गई तो कौन सा एहसान कर दिया !! मैं अब कुछ नहीं कर पाती हूँ तो तुम्हारे लिए बोझ बन गई हूँ । क्या क्या नहीं किया मैंने