एक दुनिया अजनबी - 14

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एक दुनिया अजनबी 14- उसके गले तक आकर कुछ ठहर गया था, अटक गया था भीतर ही जैसे गले में किसी कठोर ग्रास को उसने ज़बरदस्ती भीतर धकेला था | विभा और भी असहज हो उठी, चाय के इंतज़ार में गैस रानी भी शायद रसोईघर में कुलबुला रही होंगी ----| वह बड़बड़ाने लगा था | बहस उसमें और मृदुला में हो रही थी और परेशानी महसूस कर रही थी विभा, अभी पति आ जाएंगे तो बस, उसकी आफ़त ---! उन्हें कचर-पचर बिलकुल पसंद नहीं थी | "हाँ, ये ही हैं सब हमारे परिवार, ये हैं हमारे बच्चे ----" मृदुला ने तड़पकर कहा | और