त्रिखंडिता - 16

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त्रिखंडिता 16 मामा-मामी दूसरे दिन चले गए, पर उनका किशोर बेटा राम की बीमारी को देखकर रूक गया। उसे उससे सहानुभूति थी। पर सहानुभूति से ज्यादा आकर्षण था। वह एक सुंदर स्त्री को इस तरह बदहाल नहीं देख पा रहा था। श्यामा ने पहली बार अपनी स्त्री बुद्धि का इस्तेमाल किया। किशोर से प्रार्थना की कि उसे उसकी माँ के घर पहुँचा दे। किशोरों का मस्तिष्क बड़ा उर्वर होता है। उसने सम्राट के आने के पहले ही सारा इंतजाम कर दिया और वह दूसरे दिन माँ के घर आ गई। माँ के दरवाजे पर पहुँचते ही मारे खौफ, थकान और