पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 1

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पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - जूल्स वर्न चैप्टर १ मेरे मौसा जी बड़े खोजकर्ता हैं पीछे मुड़कर जब देखता हूँ अपने उस रोमांचित दिन को तो विश्वास ही नहीं होता कि मेरे साथ सच में वैसा कुछ हुआ था। वो इतना विस्मयी था कि उनके बारे में सोचकर मैं आज भी रोमांचित हो जाता हूँ। मेरे मौसा जी जर्मन थे और मौसी इंग्लैंड से थी। चूँकि मेरे पिता नहीं थे और मौसा जी का मैं लाडला था इसलिए उन्होंने मुझे पढ़ाने के लिए अपने पास बुला लिया था। उनका घर एक बड़े से शहर में था जहाँ वो