भाग-8 मौसम अपनी रफ्तार से बदलने लगा। किरण अब स्कूल जाती थी और मम्मा का इंतज़ार करती थी। हर कोई परिवार को शालिनी जैसी बहू के लिए बधाई देता था पर शालिनी अपनी किस्मत के लिए क्या कहे? हालांकि शालिनी ने अभी तक चन्द्रेश को हाँ नही कहा था! पर दोनों की आँखें जानती थीं कि इसकी अब ज़रूरत भी नहीं!हर चढ़ते दिन के साथ ही दोनों का लगाव अपनी रफ़्तार से बढ़ता जा रहा था! पर साथ ही एक अपराध बोध भी उसके भीतर सिर उठाने लगता था! लेकिन वो अपने तर्कों से उस पर विजय पाने का प्रयास