नमस्ते जी; कैसे हैं आप? अरे!! आपने मुझे पहचाना नहीं. मैं पम्मी; लेकिन मैं पम्मी मम्मी नहीं...रुकिए ज़रा; ठहरिये; परेशान मत होइए ... आराम से बताती हूँ. ज़रा खिड़की वाली सीट पर बैठ तो जाऊं. फिर सफर भी तो लम्बा है ना; दिल्ली से अमृतसर का; तो आराम से गपशप लगाते हैं ...हाँ, तो; मेरा नाम है पम्मी और जिसकी मैं बात कर रही हूँ वो है मेरी मम्मी; "पम्मी मम्मी". हुआ यूं मेरी मम्मी का नाम है परमिंदर कौर, जिन्हें पम्मी नाम बहुत पसंद था, लेकिन किसी ने उन्हें पुकारा ही नहीं और उन्होंने मेरा नाम परमजीत कौर यानि