तानाबाना - 24

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तानाबाना – 24 हर की पौङी के घाट पर ही कुछ पल यादें साझा कर खन्नी चाची और खन्ना चाचा तो चले गये पर इन सबको यादों के गहरे समंदर में गोते लगाने के लिए छोङ गये । रवि अपने पाकपटन के घर , मंदिर, गली और उस गली के दोस्तों की यादों में खो गया जिनके साथ उसका बचपन बीता था और जवानी आने से पहले ही सब का सब छूट गया । मंगला को अपना सतघरा याद आया तो उसकी आँखें गीली हो गयी । सुरसती अलग बैठी अपनी रुलाई रोकने की असफल कोशिश कर रही