'मेरी बेटी मुझे नहीं, औरों को तो अपनी आंखों से देख रही है। वह जिंदा है। उसने मृत्यु का वरण किया दूसरे का भला कर..।' वंदना ने पति सुकेश से धीरे से कहा। ' हां तुमने सच कहा। तुम्हारा यह फैसला बिल्कुल सही था'। सुकेश ने वंदना की बात का प्रतिउत्तर दिया। 'आपलोग फिर से उन्हीं बातों को लेकर बैठ गए ? जो चीज आपलोगों की किस्मत में नहीं थी, उसके बारे में विषाद करने से क्या फायदा!' वंदना की दोस्त विनी ने उनके घर में कदम रखते ही कहा। सुुकेश एक सरकारी बैंक में कार्यरत थे, तो पत्नी वंदना एक