मुझे पंख दे दो।*************घड़ी की तरफ नजर गई तो चौंक उठी ,अरे साढ़े दस बज गए ;आशा नहीं आई अभी तक ,आसमान तो एकदम साफ है ,बारिश के कोई आसार भी नजर नहीं आ रहे ,हालांकि मौसम बारिश का ही है ,कभी भी बूँदाबादी शुरू हो जाती है मगर इस वक्त तो चटक धूप खिली है ।रोज तो छोटी सुई दस को छूती है और बड़ी सुई बारह के आसपास घूम रही होती है कभी आगे कभी पीछे ,वह आ पहुँचती है ।रविवार या छुट्टी के दिन के अलावा आशा ने कभी छुट्टी की है उसे याद नहीं आता ।काँटा