एक थी दक्षिता

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धनानन्द से अपमानित चाणक्य ने नंदवंश के नाश का संकल्प लेने के बाद चंद्रगुप्त को तक्षशिला में प्रवेश दिला दिया। उन्हें पता था कि एक भयानक संकट सिकंदर के रूप में भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है। वह जानते थे कि यदि इस समय सिंधु और उसके आस पास के राज्यों ने एक जुट होकर सिकंदर का सामना नहीं किया तो वह पूरे भारत पर अधिकार कर लेगा जिससे अखण्ड भारत का उनका सपना चूर-चूर हो जाएगा। उधर चंद्रगुप्त युद्ध आदि की शिक्षा ले रहा था और इधर चाणक्य अलग अलग राज्यों से संपर्क करके सिकंदर की सेना