जलसमाधि पद्मा शर्मा बोलेरो जीप शहर की फोरलेन सपाट सड़कों को पीछे छोड़ती हुई तहसील की उथली सड़कों पर थिरकने लगी थी। कभी किसी बड़े गड्ढे में पहिया आ जाता तो जीप जोर से हिचकोला खाती और परेश का समूचा शरीर हिल जाता। उसने अपनी नजरें सड़क पर जमा दीं...किसी बड़े गड्ढे को देखकर वह अपने शरीर को संयत करता और गेट के ऊपर बने हैण्डल पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेता। छोटे-बड़े गड्ढे सपाट सड़क का भूगोल बिगाड़े हुए थे जैसे गोरे चेहरे पर मुहाँसे या चेचक के निशान। कभी धँुए का गुबार उठता तो कभी कचरे