वेदवाणी - 2

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अखबार में इस्तेहार देखते ही देवयानी के मुख पर मुस्कान सी खिल गईपरन्तु मुस्कान साथ एक दुख भी था। जो दुख अपनी बेटी की विदाई के बारे में सोच हर मां के मन मे उत्पन्न है जाता हैं। वह क्षण भर के लिए हवेली कि दीवारों में गूंजती रौनक। को महसूस करने लगी जो वाणी के होने से घर के कोने कोने में है। भैया बस यहीं पर रोक दो।जी दीदी वाणी , आप घर चले जाना मुुझे आज ज्यादा टाइम लगेगा। ड्राईवर , नहीं नहीं दीदी मालकिन ने बोला है। आप को साथ लेकर ही आए।वाणी -मां भी ना चलो ठीक है।हे वााणी दिशा हाए दिशाहाउ आर यू दििशा - आई एम्