सारे लोगो इकट्ठा हो गये रितु ने कहा देख क्या रहे हो जाओ ..जाओ उनकी मदद करो उनको बाहर निकालो और मशक्कत चालू हो गए कभी मोटे व्यक्ति को खींचकर तो कभी खुशी के ऊपर चढ़कर उनको बाहर निकालने की कोशिश की जारी थी मैनेजर अरे मेरी कुर्सी जरा संभाल के कहीं टूट ना जाए मोटे की पत्नी - अरे कोई इनको बाहर निकालो मैनेजर अपनी कुर्सी के लिए रो रहा था और पत्नी उसके पति के लिए अर्जुन - चिल्लाते हुए अरे रुको थोड़ा कम खिलाया होता तो आज यह नौबत ना आती खा कर मोटे हो गए हैं