शाम का समय था,गुन्जा मां को लेकर मंदिर गई थी, सीताराम जी दुकान पर बैठे थे,श्रीधर शाम की चाय पीने आया__ प्रतिमा ने सोचा, अच्छा मौका है, श्रीधर से गुन्जा के विषय में पूछने का, उसने श्रीधर को चाय देते समय हिम्मत करके पूछ ही लिया कि तुम्हें गुन्जा कैसी लगती है? अच्छी है,स्वभाव अच्छा है, खाना अच्छा बनाती है,श्रीधर बोला। मैंने ये नहीं पूछा,मेरा इरादा तो कुछ और ही है, मैं सीधे-सीधे पूछती हूं,क्या तुम गुन्जा से ब्याह करोंगे,प्रतिमा बोली। श्रीधर बोला,सच बताऊं प्रतिमा___ मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि मैं गुन्जा से प्रेम करने लगूंगा, क्योंकि मैंने