मिरगी उस निजी अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग का चार्ज लेने के कुछ ही दिनों बाद कुन्ती का केस मेरे पास आया था| “यह पर्ची यहीं के एक वार्ड बॉय की भतीजी की है, मैम|” उस दिन की ओपीडी पर मेरे संग बैठे मेरे जूनियर ने एक नयी पर्ची मेरे सामने रखते हुए कहा| “कैसा केस है?” मैंने पूछा| “वार्ड बॉय मिरगी बता रहा है| लड़की साथ लेकर आया है.....” “ठीक है| बुलवाओ उसे.....” वार्ड बॉय ने अस्पताल की वर्दी के साथ अपने नाम का बिल्ला पहन रखा था : अवधेश प्रसाद और पर्ची कुन्ती का नाम लिए थी| “कुन्ती?” मैंने