ये उन दिनों की बात है - 5

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हम दोनों एक दुसरे से हर बात शेयर करते थे | न तो वो मुझसे कभी कुछ छुपाती थी और न ही मैं | "टिफ़िन शेयर करना, खेलना, मस्ती, खुशियां" सब कुछ था हमारी ज़िन्दगी में | मुझे आज भी याद है, उसे मेरी मम्मी के हाथ के बनाये हुए भरवां परांठे पसंद थे और मुझे उसकी मम्मी के हाथ के बनाये हुए छोले भठूरे | वैसे तो आठवीं क्लास से ही हमारा एक ग्रुप बन गया था | मानसी, सोनिया, निशा, राधिका, कामिनी और मैं | लेकिन मेरी और कामिनी की दोस्ती तो बहुत पुरानी है | मम्मा,